चीन और अडानी का नाम लेते ही संजय सिंह गिरफ़्तारी
  

नमस्कार दोस्तो! संजय सिंह को अडानी और चीन का नाम एक साथ नहीं लेना चाहिए था। एक साथ दो नाम लेने का असर ये हुआ कि संजय सिंह के घर पर ईडी का छापा पड़ गया है। एक साथ दो नाम लेने से सरकारी परखनली में जोरदार रिएक्शन हुआ और सुबह सुबह छापा पड़ गया। संजय सिंह ने रात में पत्रकारों के घर पर छापे के विरोध में यह ट्वीट किया था और कहा था चाइना ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया। मोदीजी की हिम्मत नहीं कि चाइना के खिलाफ एक शब्द भी बोले। इन पत्रकारों को पकड़कर चाइना से लड़ने की नौटंकी कर रहे हैं। हिम्मत है तो चाइना से व्यापार बंद कर दो, पर वो नहीं करेंगे क्योंकि इससे अडानी को नुकसान होगा। आम आदमी पार्टी कहती है कि संजय सिंह ने अडानी का नाम ले लिया । अडानी के शुभचिंतक सरकार को पसंद नहीं आया। पत्रकारों और विपक्षी नेताओं के घर पर छापे मारकर पांच राज्यों में चुनाव की औपचारिक शुरुआत हो गई है। दोस्तों, हर साल चुनाव से पहले पत्रकारों की जुबान बंद कराने के लिए विपक्षियों को डराने के लिए ईडी छापे मार दी है।


 इस बार भी न्यूज स्टेट के पत्रकार उर्मिलेश और अभिसार शर्मा पर कार्रवाई के बाद उनके घरों पर छापों के बाद आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के घर पर ईडी ने छापा मार दिया। छापे का समय सुबह 07:00 बजे का ही रहता है। नेता बदलते हैं, पत्रकार बदलते हैं, लेकिन ईडी का छापा मारने का समय नहीं बदलता है। अगला छापा किसके घर पर पड़ेगा इसका अनुमान लगाना बहुत कठिन नहीं है। जो मोदी जी के खिलाफ ज्यादा बोले वह पत्रकार हो या विपक्षी नेता, उसके घर ईडी का छापा पड़ेगा। यह अघोषित संदेश दिया जा चुका है। ईडी छापे इसलिए नहीं मारती क्योंकि जिसके घर पर छापा मारा गया है उसके घर से कुछ मिले। ईडी छापे इसलिए मारती है क्योंकि जो बहुत बोल रहा है वो नेता संजय सिंह के घर से भी कुछ नहीं मिला। उम्मीद है संजय सिंह जुबान को लगाम लगाएंगे। अगर ऐसा नहीं होता तो शराब घोटाले मामले में छह महीने के बाद ईडी को अब छापा मारने की याद नहीं आती। 

तो आप बताइये भारत का बेवकूफ से बेवकूफ आदमी किसी क्राइम का केस खुलने के बाद सबूत अपने पास समेट कर रखता है। अगर क्राइम के कुछ सबूत रह भी जाते हैं तो हटा देता है। लेकिन ईडी केस दर्ज होने के और सिसोदिया की गिरफ्तारी के छह महीने के बाद संजय सिंह के घर पर छापा मार रही है। आप बताइए अगर संजय सिंह ने कुछ किया भी होगा तो उनके घर से क्या मिलेगा? कुछ नहीं मिलेगा, क्या सबूत मिलेंगे? कोई सबूत नहीं मिलेंगे। लेकिन ईडी को सबूत नही चाहिए होते हैं। ईडी केस के दबे हुए सबूत जुटाने के लिए नहीं बल्कि चलती हुई जुबान बंद कराने आती है। संजय सिंह कहते हैं कि ईडी ने जब शराब घोटाले वाली चार्टशीट में राहुल सिंह की जगह पर गलती से संजय सिंह का नाम लिख लिया था, तब ही पता चल गया था कि ईडी को संजय सिंह के घर पर शिकंजा कसने के ऑर्डर्स ऊपर से आ गए हैं। दोस्तों, देश का बच्चा बच्चा जानता था कि ईडी संजय सिंह के घर पर छापा मारेगी। पिछले कई महीनों से इसी दिन का इंतजार हो रहा था। एक समय था जब जांच एजेंसियां आरोप लगने के बाद छापा मारा करती थी। लेकिन आज एक समय यह है जो पत्रकार या नेता ज्यादा बोलता है और उसमें जो मोदी जी से सवाल करता है, उनके खिलाफ बोलता है या मोदी जी की सरकार के खिलाफ या फिर उनकी सरकार से सवाल करता है तो उसके घर ईडी का छापा अनिवार्य तौर पर पड़ता ही है। एक नए दर्जनों पत्रकारों के उदाहरण हैं। बताउंगी ना तो वीडियो बहुत लंबा हो जाएगा। ईडी की कार्रवाई को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने क्या कहा? उसने इस केस में हजार रेड पड़ चुकी है। संजय सिंह के घर पर कुछ नहीं मिलेगा। 2024 के चुनाव आ रहे हैं और वे जानते हैं कि वे हारेंगे। यह उनकी हताशा भरी कोशिशें है। जैसे चुनाव नजदीक आएगा, ईडी, सीबीआई और जैसी सभी एजेंसियां सक्रिय हो जाएगी तो यह भी जानना बहुत जरूरी है कि किस बेसिस पर ईडी ने इतने दिनों के बाद संजय सिंह के घर पर छापा मारा तो वह यह था कि ईडी ने अपनी चार्जशीट में आरोप लगाया था कि शराब घोटाले के आरोपी व्यवसायी दिनेश अरोड़ा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से उनके आवास पर मुलाकात की थी। इस बैठक में संजय सिंह भी मौजूद थे। सरकार में ईडी और सीबीआई का मजाक बनाकर रख दिया है। एक बार पुष्टि रिन्यू की बात ले लीजिए। अगर सुधीर चौधरी ने 100 करोड़ की रिश्वत मांगी थी तो उसमें ज़ी न्यूज़ के काम करने वाले कर्मचारियों का कोई दोष नहीं था। सुधीर चौधरी को ही पकड़ा गया था। सुधीर चौधरी से रिश्वत मांगने के लिए ज़ी न्यूज़ के कर्मचारियों ने तो कहा नहीं होगा। उसी तरह अगर न्यूज़ क्लिक में कुछ हुआ कहीं से कुछ धन दौलत आई तो फिर न्यूज़ क्लिक के कर्मचारियों को कंपनी के पत्रकारों को क्यों उठाया गया। सुधीर चौधरी ने जिंदल से 100 करोड़ मांगे थे तो फिर जी न्यूज का दफ्तर सील करना चाहिए था लेकिन वह नहीं हो। न्यूज़ क्लिक का दफ्तर सील हो गया। वहां के कर्मचारियों को बेरोजगार कर दिया गया।


 तो कुल मिलाकर दोस्तों ईदी बीजेपी की कमियां बताने वालों की घर पर चुनाव से पहले छापा मारने वाली एक संस्था है। वो कभी कभी विदेशी फंडिंग के मामलों में भी जांच करती है। उसका प्रमुख काम जुबान बंद कराना है।


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